Ayodhya Ram Mandir: करोड़ो भक्त का इंतजार अब कुछ ही क्षण में खत्म होने वाला है। ऐसे में सभी के मन में यह सवाल चल रहा है कि किस शुभ मुहूर्त पर प्रभु राम का राज अभिषेक किया जाएगा। तो आइए जानते हैं आज अयोध्या राम मंदिर से जुड़े लेटेस्ट अपडेट।
रामचरितमानस का पाठ करें
प्राण प्रतिष्ठा के समय घर पर रहकर ही रामचरितमानस के बाल कांड का पाठ करें। इसके साथ ही राम रक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी करें। इससे आप घर पर रहते हुए भी भगवान श्री राम का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
प्राण प्रतिष्ठा के समय घर में बजाएं शंख
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर घर में शंख बजाकर उत्सव मनाएं। इससे घर से नकारात्मकता दूर होगी और घर का वातावरण भी शुद्ध हो जाएगा। घर के सदस्यों पर भगवान श्री राम की कृपा बनी रहेगी। राम मंदिर के उद्घाटन के मौके पर अपने घर के बाहर हल्दी वाला पानी छिड़कें. घर में पूजा और हवन करें.
रामलला की
* कछुक दिवस बीते एहि भाँती। जात न जानिअ दिन अरु राती॥
नामकरन कर अवसरु जानी। भूप बोलि पठए मुनि ग्यानी॥
भावार्थ:-इस प्रकार कुछ दिन बीत गए। दिन और रात जाते हुए जान नहीं पड़ते। तब नामकरण संस्कार का समय जानकर राजा ने ज्ञानी मुनि श्री वशिष्ठजी को बुला भेजा॥
* करि पूजा भूपति अस भाषा। धरिअ नाम जो मुनि गुनि राखा॥
इन्ह के नाम अनेक अनूपा। मैं नृप कहब स्वमति अनुरूपा॥
भावार्थ:-मुनि की पूजा करके राजा ने कहा- हे मुनि! आपने मन में जो विचार रखे हों, वे नाम रखिए। (मुनि ने कहा-) हे राजन्! इनके अनुपम नाम हैं, फिर भी मैं अपनी बुद्धि के अनुसार कहूँगा॥
*जो आनंद सिंधु सुखरासी। सीकर तें त्रैलोक सुपासी॥
सो सुखधाम राम अस नामा। अखिल लोक दायक बिश्रामा॥
भावार्थ:-ये जो आनंद के समुद्र और सुख की राशि हैं, जिस (आनंदसिंधु) के एक कण से तीनों लोक सुखी होते हैं, उन (आपके सबसे बड़े पुत्र) का नाम ‘राम’ है, जो सुख का भवन और सम्पूर्ण लोकों को शांति देने वाला है॥
* बिस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई॥
जाके सुमिरन तें रिपु नासा। नाम सत्रुहन बेद प्रकासा॥
भावार्थ:-जो संसार का भरण-पोषण करते हैं, उन (आपके दूसरे पुत्र) का नाम ‘भरत’ होगा, जिनके स्मरण मात्र से शत्रु का नाश होता है, उनका वेदों में प्रसिद्ध ‘शत्रुघ्न’ नाम है॥
दोहा :
* लच्छन धाम राम प्रिय सकल जगत आधार।
गुरु बसिष्ठ तेहि राखा लछिमन नाम उदार॥197॥
भावार्थ:-जो शुभ लक्षणों के धाम, श्री रामजी के प्यारे और सारे जगत के आधार हैं, गुरु वशिष्ठजी ने उनका ‘लक्ष्मण’ ऐसा श्रेष्ठ नाम रखा है॥
रामलला की चौपाई :
* धरे नाम गुर हृदयँ बिचारी। बेद तत्व नृप तव सुत चारी॥
मुनि धन जन सरबस सिव प्राना। बाल केलि रस तेहिं सुख माना॥
भावार्थ:-गुरुजी ने हृदय में विचार कर ये नाम रखे (और कहा-) हे राजन्! तुम्हारे चारों पुत्र वेद के तत्त्व (साक्षात् परात्पर भगवान) हैं। जो मुनियों के धन, भक्तों के सर्वस्व और शिवजी के प्राण हैं, उन्होंने (इस समय तुम लोगों के प्रेमवश) बाल लीला के रस में सुख माना है॥
* बारेहि ते निज हित पति जानी। लछिमन राम चरन रति मानी॥
भरत सत्रुहन दूनउ भाई। प्रभु सेवक जसि प्रीति बड़ाई॥
भावार्थ:-बचपन से ही श्री रामचन्द्रजी को अपना परम हितैषी स्वामी जानकर लक्ष्मणजी ने उनके चरणों में प्रीति जोड़ ली। भरत और शत्रुघ्न दोनों भाइयों में स्वामी और सेवक की जिस प्रीति की प्रशंसा है, वैसी प्रीति हो गई॥
*स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी। निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी॥
चारिउ सील रूप गुन धामा। तदपि अधिक सुखसागर रामा॥
भावार्थ:-श्याम और गौर शरीर वाली दोनों सुंदर जोड़ियों की शोभा को देखकर माताएँ तृण तोड़ती हैं (जिसमें दीठ न लग जाए)। यों तो चारों ही पुत्र शील, रूप और गुण के धाम हैं, तो भी सुख के समुद्र श्री रामचन्द्रजी सबसे अधिक हैं॥
भगवान राम के चमत्कारी मंत्रों का जाप करें
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे, रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः ||
ॐ क्लीं नमो भगवते रामचन्द्राय सकलजन वश्यकराय स्वाह: ||
ॐ दाशरथये विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि, तन्नो राम प्रचोदयात्॥
श्री राम जय राम कोदण्ड राम॥
ह्रीं राम ह्रीं राम ||
आज घर पर ऐसे करें भगवान राम की पूजा
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और खुद को शुद्ध कर लें। साफ कपड़े पहनें। जिस स्थान पर भगवान राम की तस्वीर या राम दरबार रखा हो उसे गंगा जल से शुद्ध कर लें। एक लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान राम की मूर्ति स्थापित करें। इसके साथ ही कलश की भी स्थापना करें। कलश की पूजा के बाद धरती माता की पूजा करें। भगवान राम के चरण कमलों में दूध, दही, घी, गंगा जल और शहद अर्पित करें। भगवान राम को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। फूल, रोली और अक्षत से भगवान राम की पूजा करें। घी के दीपक और कपूर से भगवान राम की आरती करें। पूजा के बाद प्रसाद के रूप में पंचामृत ग्रहण करें।
ये वाद्य यंत्र आज बजाए जाएंगे
मंगल ध्वनि कार्यक्रम में शामिल वाद्ययंत्रों में यूपी से पखावज, बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, ओडिशा से मर्दाला, एमपी से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नागरा और काली, छत्तीसगढ़ से तंबुरा शामिल हैं। शहनाई दिल्ली से, रावण हत्था राजस्थान से, श्रीखोल और सरोद पश्चिम बंगाल से, घटम आंध्र प्रदेश से, सितार झारखंड से, संतर गुजरात से, पखावज गुजरात से, हुड़का उत्तराखंड से, और नागास्वरम, ताविल और मृदंगम तमिलनाडु से आए।
रात्रि 10 बजे मंगल ध्वनि की भव्य प्रस्तुति होगी
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आज सुबह 10 बजे से भव्य मंगल ध्वनि बजेगी. इसमें 50 से अधिक मनमोहक वाद्ययंत्र बजाए जाएंगे। यह मंगल ध्वनि करीब 2 घंटे तक गूंजेगी।